“सतयुग से कलियुग तक: भगवान विष्णु की अवतार लीला, श्री विष्णु के बिना सृष्टि अधूरी
श्री विष्णु – पालनकर्ता और संपूर्ण सृष्टि के आधार,
सनातन धर्म में भगवान विष्णु को पालनकर्ता माना गया है। वे न केवल सृष्टि की रक्षा करते हैं, बल्कि उसके संतुलन को बनाए रखते हैं। ऋग्वेद, महाभारत, भगवद्गीता, श्रीमद्भागवत महापुराण, और विष्णु सहस्रनाम जैसे ग्रंथों में भगवान विष्णु के महत्व और लीलाओं का विस्तृत वर्णन मिलता है। उनका प्रत्येक अवतार धर्म की पुनर्स्थापना और अधर्म के विनाश हेतु हुआ है। इस ब्लॉग में हम शास्त्रों के आधार पर भगवान विष्णु की महिमा, उनके स्वरूप, अवतार, तथा उनकी भक्ति के महत्व को विस्तार से समझेंगे।
भगवान विष्णु का स्वरूप
श्री विष्णु सत्वगुण के अधिष्ठाता देवता हैं, जो सृष्टि की रक्षा और पालन का कार्य करते हैं। वे क्षीरसागर में शेषनाग पर शयन करते हैं और लक्ष्मीजी उनकी सेवा में रहती हैं। उनका दिव्य स्वरूप अत्यंत मनोहर और अलौकिक है:

चतुर्भुज रूप – भगवान विष्णु के चार हाथ होते हैं, जिनमें शंख, चक्र, गदा और पद्म धारण किए होते हैं।
शंख (पाञ्चजन्य) – यह नाद और चेतना का प्रतीक है, जो धर्म और सत्य का उद्घोष करता है।
सुदर्शन चक्र – यह कालचक्र का प्रतीक है, जो अधर्मियों के विनाश हेतु प्रयोग किया जाता है।
गदा (कौमोदकी) – यह शक्ति और न्याय का प्रतीक है, जो भक्तों की रक्षा करता है।
पद्म (कमल) – यह दिव्यता, ज्ञान और मुक्ति का प्रतीक है।
भगवान विष्णु का रंग श्यामल है, जो अनंत आकाश और समुद्र का प्रतीक है। उनका वाम भाग श्री लक्ष्मीजी से संयुक्त रहता है, जो यह दर्शाता है कि वे धन, ऐश्वर्य और समृद्धि के स्वामी हैं।
भगवान विष्णु के प्रमुख अवतार
भगवान विष्णु ने जब-जब अधर्म बढ़ा, तब-तब वे विभिन्न रूपों में अवतरित होकर धर्म की पुनर्स्थापना करते रहे। श्रीमद्भागवत महापुराण के अनुसार, उनके दस प्रमुख अवतार इस प्रकार हैं:
1. मत्स्य अवतार – प्रलय के समय मनु को बचाने के लिए भगवान विष्णु ने मत्स्य रूप धारण किया।
2. कूर्म अवतार – समुद्र मंथन में मंदराचल पर्वत को सहारा देने के लिए कूर्म (कछुआ) रूप लिया।
3. वराह अवतार – हिरण्याक्ष द्वारा हरण की गई पृथ्वी को रसातल से निकालने हेतु वराह अवतार लिया।
4. नरसिंह अवतार – भक्त प्रह्लाद की रक्षा और हिरण्यकशिपु के वध हेतु भगवान विष्णु ने नरसिंह रूप धारण किया।
5. वामन अवतार – दैत्यराज बलि से स्वर्ग को पुनः प्राप्त करने के लिए भगवान विष्णु वामन रूप में आए।
6. परशुराम अवतार – अधर्मी क्षत्रियों का विनाश करने के लिए भगवान विष्णु ने परशुराम रूप धारण किया।
7. श्रीराम अवतार – सत्य, धर्म और मर्यादा की स्थापना हेतु अयोध्या में राजा दशरथ के पुत्र के रूप में प्रकट हुए।
8. श्रीकृष्ण अवतार – अधर्मियों के नाश और महाभारत युद्ध में धर्म की विजय सुनिश्चित करने के लिए अवतार लिया।
9. बुद्ध अवतार – अहिंसा और ज्ञान के प्रचार के लिए भगवान विष्णु ने बुद्ध रूप में अवतार लिया।
10. कल्कि अवतार (आने वाला अवतार) – कलियुग के अंत में अधर्म के नाश के लिए भगवान विष्णु कल्कि रूप में अवतरित होंगे।
भगवान विष्णु की भक्ति और पूजन विधि
भगवान विष्णु की उपासना के लिए कई विधियाँ हैं, जो भक्तों को मोक्ष की ओर ले जाती हैं।
1. श्री विष्णु सहस्रनाम का पाठ
भगवान विष्णु के 1000 नामों का पाठ करने से सभी कष्ट दूर होते हैं और मानसिक शांति प्राप्त होती है।
2. एकादशी व्रत
भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त करने के लिए एकादशी व्रत का पालन किया जाता है। यह व्रत सांसारिक बंधनों से मुक्ति दिलाने में सहायक होता है।
3. श्रीमद्भागवत पुराण का श्रवण
भगवान विष्णु की लीलाओं और भक्तों के प्रति उनकी करुणा को समझने के लिए श्रीमद्भागवत पुराण का पाठ और श्रवण अत्यंत लाभकारी होता है।
4. विष्णु मंत्रों का जप
“ॐ नमो नारायणाय”
“ॐ विष्णवे नमः”
“ॐ वासुदेवाय नमः”
इन मंत्रों के जप से व्यक्ति के जीवन में आध्यात्मिक जागरण आता है और पापों का नाश होता है।
श्री विष्णु के बिना सृष्टि अधूरी क्यों?
भगवान विष्णु की उपस्थिति के बिना सृष्टि का संतुलन असंभव है। वे त्रिदेवों में पालनकर्ता हैं, जो ब्रह्मा द्वारा निर्मित सृष्टि की रक्षा और शिव द्वारा किए गए संहार के बीच संतुलन बनाए रखते हैं। जब-जब असुर शक्ति बढ़ी, विष्णु ने अवतार लेकर धर्म की स्थापना की।
भगवान विष्णु के गुण और विशेषताएँ
दयालुता – भक्तों पर अनंत कृपा करते हैं।
पालनकर्ता – संपूर्ण सृष्टि की रक्षा करते हैं।
अधर्म का नाश – धर्म की पुनर्स्थापना करते हैं।
मोक्षदाता – जन्म-मरण के चक्र से मुक्ति दिलाते हैं।
भगवान विष्णु केवल एक देवता नहीं, बल्कि संपूर्ण सृष्टि के आधार हैं। उनकी भक्ति जीवन को शुभ, मंगलमय और शांतिपूर्ण बनाती है। वे त्रिलोक के अधिपति हैं और अनंत ब्रह्मांडों का संचालन करते हैं। उनका स्मरण मात्र ही पापों का नाश करता है और मोक्ष का द्वार खोलता है। श्रीमद्भागवत गीता में श्रीकृष्ण ने कहा है –
“सर्वधर्मान् परित्यज्य मामेकं शरणं व्रज। अहं त्वां सर्वपापेभ्यो मोक्षयिष्यामि मा शुचः॥” (भगवद्गीता 18.66)
अर्थात् – “सब धर्मों को त्यागकर मेरी शरण में आओ। मैं तुम्हें समस्त पापों से मुक्त कर मोक्ष प्रदान करूंगा, चिंता मत करो।”
इसलिए, भगवान विष्णु की भक्ति करने से जीवन में सुख, शांति और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय!