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कथा – कहानी

सभी व्रतों का राजा है ये व्रत: पुण्य, मोक्ष और भगवान विष्णु की कृपा प्राप्ति का महान पर्व

सनातन धर्म में व्रतों का अत्यधिक महत्व बताया गया है, लेकिन यदि कोई एक व्रत सर्वाधिक पुण्यदायी, मोक्षदायी और भगवान विष्णु की असीम कृपा प्राप्त कराने वाला है, तो वह एकादशी व्रत है। इसीलिए इसे ‘व्रतों का राजा’ कहा जाता है। एकादशी का व्रत करने…

रामेश्वरम धाम: धर्म, इतिहास और चमत्कारिक रहस्यों का संगम

समुद्र की लहरें शांत थीं। श्रीराम ध्यानमग्न थे। लंका विजय के लिए समुद्र पार करना था, लेकिन इससे पहले उन्हें एक आशीर्वाद चाहिए था—भगवान शिव का। यहीं, इस पवित्र भूमि पर, उन्होंने रेत से शिवलिंग बनाकर पूजा की, और तब से यह स्थान हिंदू धर्म का…

महिला दिवस विशेष :- मातृशक्ति का श्राप! – जब पार्वती के क्रोध से भृंगी हुए अपंग 

स्त्री और पुरुष – यह दो रूप नहीं, बल्कि एक ही अस्तित्व के दो अभिन्न पहलू हैं। भारतीय दर्शन में यह अवधारणा हमेशा से रही है कि शिव और शक्ति अलग नहीं, बल्कि एक ही सत्य के दो पक्ष हैं। फिर भी, समाज में कई बार स्त्री को गौण, पुरुष पर निर्भर या…

साक्षात् बैकुंठ : जहाँ भगवान खुद भक्तों से मिलने रथ पर आते हैं

सभी को जय श्री कृष्ण साथियों हम आपको पहले बद्रीनाथ धाम बद्रीनाथ धाम: स्वर्ग का द्वार, जहाँ स्वयं तपस्या करते हैं भगवान उसके बाद द्वारका धाम की महिमा बता चुके हैं द्वारका धाम: श्रीकृष्ण की पावन लीला भूमि एवं मोक्षद्वार इसी…

द्वारका धाम: श्रीकृष्ण की पावन लीला भूमि एवं मोक्षद्वार

द्वारका धाम: श्रीकृष्ण की पावन लीला भूमि एवं मोक्षद्वार कल हमने आपको हिंदू धर्म के प्रमुख चारधामों में से प्रमुख बद्रीनाथ धाम ले चले थे बद्रीनाथ धाम: स्वर्ग का द्वार, जहाँ स्वयं तपस्या करते हैं भगवान तो आज हम आपको लेकर…

बद्रीनाथ धाम: स्वर्ग का द्वार, जहाँ स्वयं तपस्या करते हैं भगवान

हिमालय की गोद में बसा बद्रीनाथ धाम केवल एक मंदिर नहीं, बल्कि यह वह स्थान है, जहां स्वयं नारायण मोक्ष का आशीर्वाद देते हैं। उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित यह धाम भारत के चार धामों में से एक है और सनातन परंपरा का अमर केंद्र माना जाता है।…

दुर्मुखासुर संहारिणी दधिमती माता – साधारण नहीं, जाग्रत दिव्य धाम!

राजस्थान की भूमि केवल वीरों और राजाओं की नहीं, बल्कि ऋषियों की तपोभूमि भी रही है। इसी पुण्य धरा पर स्थित है दधिमती माता मंदिर, जो केवल एक शक्ति स्थल नहीं, बल्कि सनातन संस्कृति का दिव्य प्रमाण है। यह मंदिर 52 शक्तिपीठों में से एक है और नागौर…

शास्त्रों में छिपा रहस्य: आज फुलेरा दूज पर चंद्रदर्शन से क्या बदल सकता है?

ऋषियों की अमरवाणी सदियों से सनातन धर्म में चंद्रमा को मन, भावनाओं और सौम्यता का प्रतीक माना गया है। चंद्रमा की स्थिति और दर्शन से जीवन पर व्यापक प्रभाव पड़ता है, और यदि तिथि विशेष हो, तो इसका महत्व और भी बढ़ जाता है। ऐसी ही एक…

सनातनी कथाएँ और कहानियाँ: हमारी सांस्कृतिक धरोहर और उनकी प्रासंगिकता

भारत की सनातनी परंपरा केवल एक धार्मिक धारा नहीं, बल्कि एक दार्शनिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत भी है। रामायण, महाभारत, पुराणों और उपनिषदों में निहित कथाएँ न केवल आध्यात्मिक ज्ञान देती हैं, बल्कि जीवन प्रबंधन, नैतिकता और समाज के आदर्शों…