महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग – कालचक्र के अधिपति भगवान शिव का दिव्य धाम

कल हमने महाराष्ट्र स्थित घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन किए थे, जो भक्त घृष्णा की अटूट श्रद्धा और भगवान शिव के अनुग्रह का प्रतीक है। अब हमारी द्वादश ज्योतिर्लिंग यात्रा आगे बढ़ रही है मध्यप्रदेश के उज्जैन स्थित महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग की ओर, जो भगवान शिव का कालाधिपति स्वरूप है।

सनातन परंपरा में महाकालेश्वर को संपूर्ण सृष्टि के कालचक्र का नियंत्रक माना जाता है। यह एकमात्र ‘स्वयंभू ज्योतिर्लिंग’ है, जिसका महत्त्व समस्त ज्योतिर्लिंगों में सर्वोच्च माना जाता है। यहाँ भगवान शिव का पूजन करने से काल, मृत्यु और समस्त बाधाओं से मुक्ति मिलती है।

अब, इस अद्भुत ज्योतिर्लिंग के इतिहास, मंत्र, महिमा, पौराणिक कथा, शास्त्रोक्त वर्णन और पूजन विधि को विस्तार से जानते हैं। हर हर महादेव!


महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग का शास्त्रोक्त वर्णन

महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग का वर्णन शिवपुराण, स्कंद पुराण और कालिका पुराण में विस्तार से मिलता है।

शिवपुराण के कोटिरुद्र संहिता में कहा गया है –

“स्मृता: काल: प्रजासर्वास्तं दृष्ट्वा मुच्यते भयं।”

अर्थात, जो भी भक्त भगवान महाकाल का स्मरण करता है, वह समस्त भय और काल के प्रभाव से मुक्त हो जाता है।


महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग की पौराणिक कथा

प्राचीनकाल में उज्जयिनी (उज्जैन) नगरी में चंद्रसेन नामक राजा राज्य करते थे, जो भगवान शिव के अनन्य भक्त थे। एक बार एक बालक शिव नामस्मरण कर रहा था, जिसे सुनकर राजा चंद्रसेन और नगरवासी अति प्रसन्न हुए।

किन्तु, उस समय रिपु राजाओं और असुर दूषण ने उज्जयिनी पर आक्रमण कर दिया। नगरवासियों की रक्षा के लिए बालक ने भगवान शिव से प्रार्थना की।

भगवान शिव ने प्रसन्न होकर महाकाल रूप में प्रकट होकर असुरों का संहार किया और उज्जैन नगरी की रक्षा की।

तब देवताओं और ऋषियों की प्रार्थना पर भगवान शिव यहाँ ‘महाकाल’ ज्योतिर्लिंग रूप में स्वयं स्थापित हो गए और कहा –

“जो भी भक्त श्रद्धा और भक्ति से मेरी पूजा करेगा, उसे काल भी पराजित नहीं कर सकता।”


महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग की विशेषताएँ

  1. ‘स्वयंभू ज्योतिर्लिंग’ – अन्य ज्योतिर्लिंगों की स्थापना भक्तों या देवताओं ने की, परंतु महाकालेश्वर स्वयं प्रकट हुए।
  2. एकमात्र दक्षिणमुखी ज्योतिर्लिंग – सभी ज्योतिर्लिंग उत्तरमुखी होते हैं, किंतु महाकालेश्वर दक्षिणमुखी हैं, जो मृत्यु और यमराज के स्वामी होने का संकेत देते हैं।
  3. महाकाल वन क्षेत्र – प्राचीन काल में उज्जैन को ‘महाकाल वन’ कहा जाता था, जहाँ भगवान शिव की दिव्य उपस्थिति मानी जाती थी।
  4. भस्म आरती – यह एकमात्र ज्योतिर्लिंग है, जहाँ प्रतिदिन प्रातः भस्म आरती होती है। इसे देखने से आयु, आरोग्य और सुख-समृद्धि प्राप्त होती है।

महाकाल के शक्तिशाली मंत्र और स्तुति

महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग की स्तुति और मंत्र जाप से काल, मृत्यु और बाधाओं से मुक्ति मिलती है।

1. महामृत्युंजय मंत्र

“ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्॥”

इस मंत्र का जाप करने से आरोग्य, दीर्घायु और भय नाश होता है।

2. महाकाल स्तुति

“जय महाकाल, जय शंकर, जय शिवाय।
काल के भी काल, त्रिनेत्रधारी, जय महादेव हराय।।”

यह स्तुति रात्रि समय में जपने से नकारात्मक ऊर्जा और भय नष्ट करता है।

3. काल भैरव मंत्र

“ॐ भैरवाय नमः।”

भगवान महाकाल के साथ काल भैरव की पूजा विशेष रूप से की जाती है। यह मंत्र शत्रु नाशक और संकट हरण करने वाला माना जाता है।


महाकालेश्वर मंदिर की भव्यता

  • यह मारु-गुर्जर स्थापत्य शैली में निर्मित एक विशाल मंदिर है।
  • मंदिर के तीन स्तर हैं –
    • नीचे – महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग
    • मध्य – ओंकारेश्वर लिंग
    • ऊपर – नागचंद्रेश्वर लिंग (केवल नागपंचमी पर दर्शन)
  • यहाँ भगवान शिव के साथ माता पार्वती, भगवान कार्तिकेय, भगवान गणेश और नंदी महाराज भी विराजमान हैं।

पूजन विधि और अभिषेक

  1. भस्म आरती: प्रातः 4 बजे होने वाली भस्म आरती विश्व प्रसिद्ध है, जिसमें भगवान शिव को चिता भस्म से अभिषेक किया जाता है।
  2. रुद्राभिषेक: दूध, गंगाजल और पंचामृत से भगवान शिव का अभिषेक किया जाता है।
  3. महामृत्युंजय जाप: यहाँ यह जाप करने से आयु वृद्धि और भय नाश होता है।
  4. कपाल मोचन तीर्थ स्नान: यह पवित्र सरोवर मंदिर के पास स्थित है, जहाँ स्नान से पापों का नाश होता है।

अगला पड़ाव – ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग

महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन के बाद, हमारी यात्रा अब नर्मदा तट पर स्थित ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग की ओर बढ़ रही है, जो शिव के ओंकार रूप का प्रतीक है।

हमारी यह आध्यात्मिक यात्रा कल भी जारी रहेगी, तो जुड़े रहें और अपने परिवार, मित्रों और बच्चों को भी इस पवित्र यात्रा का सहभागी बनाएं। भगवान शिव की कृपा सभी पर बनी रहे! हर हर महादेव!