एकमात्र ज्योतिर्लिंग है जहां भगवान शिव के साथ ब्रह्मा और विष्णु भी हैं प्रतिष्ठित
आज हमारी पवित्र ज्योतिर्लिंग यात्रा में अगला पड़ाव त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग (महाराष्ट्र) है, जो भगवान शिव के त्रिनेत्र स्वरूप का प्रतीक है। चलिए, इस दिव्य धाम की कथा, महत्व और अद्भुत दर्शन का अनुभव करते हैं। हर हर महादेव!
त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग – जहाँ बहती है गंगा की पवित्र धारा
हमारी यात्रा दक्षिण भारत के रामेश्वरम और नागेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन के बाद अब महाराष्ट्र की ओर बढ़ रही है। आज हम पुण्यभूमि नासिक के समीप स्थित त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन करेंगे, जो अपनी अद्वितीय शिवलिंग संरचना और गोदावरी नदी के उद्गम स्थल के लिए प्रसिद्ध है।
शास्त्रों में त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग का महत्व
त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग की महिमा शिवपुराण, स्कंद पुराण और अन्य धर्मग्रंथों में विस्तार से वर्णित है। यह ज्योतिर्लिंग भगवान शिव के तीन नेत्रों (त्र्यंबक) का प्रतीक है, जो सृष्टि, स्थिति और संहार के अधिपति हैं। इस मंदिर की सबसे विशेष बात यह है कि यहाँ शिवलिंग के साथ ब्रह्मा, विष्णु और महेश – तीनों की प्रतिमा विराजमान है।
त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग की कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, महर्षि गौतम ने इस क्षेत्र में कठोर तपस्या की थी। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें वरदान दिया कि यहाँ गंगा का प्रवाह होगा। इस प्रकार गोदावरी नदी का जन्म हुआ, जिसे दक्षिण गंगा भी कहा जाता है। इसके बाद, ऋषियों और देवताओं की प्रार्थना पर भगवान शिव स्वयं यहाँ ज्योतिर्लिंग रूप में स्थापित हो गए।
त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग की विशेषताएँ
- अद्भुत शिवलिंग: यह एकमात्र ज्योतिर्लिंग है, जिसमें भगवान शिव के साथ ब्रह्मा और विष्णु भी प्रतिष्ठित हैं।
- गर्भगृह का जलमग्न रहना: यहाँ शिवलिंग हमेशा जल से आच्छादित रहता है, जो भगवान शिव के अश्रु रूप को दर्शाता है।
- कालसर्प दोष निवारण: यहाँ विशेष रूप से कालसर्प दोष और पितृदोष की शांति के लिए पूजा की जाती है।
कैसे पहुँचें?
- निकटतम रेलवे स्टेशन: नासिक रेलवे स्टेशन (28 किमी)
- निकटतम हवाई अड्डा: मुंबई हवाई अड्डा (180 किमी)
- सड़क मार्ग: नासिक से त्र्यंबकेश्वर तक बस, टैक्सी और निजी वाहन से पहुँचा जा सकता है।
पूजा और अभिषेक
- रुद्राभिषेक, महामृत्युंजय जाप और कालसर्प दोष निवारण पूजा यहाँ विशेष रूप से की जाती है।
- गोदावरी स्नान: भक्त यहाँ गोदावरी नदी में स्नान कर शिवलिंग का जलाभिषेक करते हैं।
अगला पड़ाव – घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग
त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग के अद्भुत दर्शन के बाद, हमारी यात्रा अब घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग (महाराष्ट्र) की ओर बढ़ेगी। वहाँ हम भगवान शिव के एक और दिव्य स्वरूप के दर्शन करेंगे।
हमारी यह आध्यात्मिक यात्रा कल भी जारी रहेगी, तो जुड़े रहें और अपने परिवार, मित्रों और बच्चों को भी इस पवित्र यात्रा का सहभागी बनाएं। भगवान शिव की कृपा सभी पर बनी रहे! हर हर महादेव!