अश्विनी कुमार: दिव्य वैद्य और जीवन शक्ति के अधिष्ठाता

हिंदू धर्म में 33 कोटि देवताओं की अवधारणा अत्यंत महत्वपूर्ण है। इन 33 देवताओं में 12 आदित्य, 11 रुद्र, 8 वसु और 2 अश्विनी कुमार शामिल हैं। अश्विनी कुमार वे दिव्य जुड़वां देवता हैं, जिन्हें देवताओं के वैद्य, सौंदर्य और आरोग्य के संरक्षक तथा अश्व चिकित्सा के विशेषज्ञ के रूप में पूजा जाता है। वे न केवल देवताओं के, बल्कि समस्त प्राणियों के रोगनाशक और जीवन ऊर्जा को संचारित करने वाले माने गए हैं।

 

33 कोटि देवताओं में अश्विनी कुमारों का स्थान

 

सनातन धर्म में ‘कोटि’ शब्द का अर्थ ‘करोड़’ नहीं, बल्कि ‘प्रकार’ या ‘वर्ग’ होता है। इस प्रकार, 33 कोटि देवता 33 विशिष्ट देवशक्तियों को इंगित करते हैं, जो ब्रह्मांडीय संतुलन बनाए रखते हैं। इन 33 देवताओं में दो अश्विनी कुमार विशेष स्थान रखते हैं, जिन्हें ‘सौर्य देवता’ (सूर्य-पुत्र) और ‘वैद्य देवता’ कहा जाता है।

अश्विनी कुमार कौन हैं?

ऋग्वेद, महाभारत और पुराणों में अश्विनी कुमारों को दिव्य चिकित्सक और अमरत्व देने वाले देवता बताया गया है। वे भगवान सूर्य और उनकी पत्नी संज्ञा (या सरण्यु) के पुत्र हैं। जब संज्ञा ने घोड़ी (अश्व) का रूप धारण कर तपस्या की, तब सूर्य ने उसी रूप में उनसे संतान उत्पन्न की। इस कारण उन्हें ‘अश्विनी कुमार’ कहा गया।

ऋग्वेद (1.46.1) में कहा गया है:

“अश्विना यज्वरीरिषः, सुश्रुतं शंभुवंससा।”

अर्थात – अश्विनी कुमार उत्तम वैद्य, कुशल चिकित्सक और संकटमोचक देवता हैं।

अश्विनी कुमारों के दो स्वरूप और उनकी विशेषताएँ

 

1. नासत्य – मानव जाति के संरक्षक और दिव्य औषधियों के ज्ञाता

नासत्य को सत्य, धर्म और आरोग्य के रक्षक के रूप में वर्णित किया गया है।

वे आयुर्वेद और प्राकृतिक चिकित्सा के ज्ञाता हैं, जो मानव जाति को रोगों से मुक्त करने के लिए औषधियों का ज्ञान प्रदान करते हैं।

ऋग्वेद (8.22.6) में कहा गया है कि नासत्य चिकित्सा के माध्यम से जीवन को पुनर्जीवित करने की क्षमता रखते हैं।

नासत्य मानव शरीर और प्रकृति के संतुलन के रक्षक हैं, जो पंचतत्वों को संतुलित करते हैं।

2. दस्र – सर्जरी और पुनर्जीवन के देवता

दस्र को शल्य चिकित्सा (सर्जरी) और कायाकल्प (रिजुवेनेशन) में निपुण माना गया है।

ऋग्वेद (10.39.4) में वर्णन है कि दस्र ने एक ऋषि च्यवन को युवावस्था प्रदान की थी।

महाभारत में उल्लेख है कि दस्र ने राजा भुज्यु और अन्य वीरों को मृत्युद्वार से वापस लाकर जीवनदान दिया।

दस्र देवताओं के सौंदर्य, शक्ति और दीर्घायु के संरक्षक हैं।

शास्त्रोक्त महिमा और पौराणिक कथाएँ

 

1. ऋषि च्यवन की पुनर्यौवन कथा

महाभारत और पुराणों के अनुसार, महान ऋषि च्यवन अत्यधिक वृद्ध हो चुके थे, जिससे उनकी पत्नी सुकन्या को कठिनाइयाँ हो रही थीं। तब अश्विनी कुमारों ने उन्हें ‘च्यवनप्राश’ नामक दिव्य औषधि देकर पुनः युवा बना दिया। यही कारण है कि आयुर्वेद में आज भी च्यवनप्राश को अमृत तुल्य माना जाता है।

2. राजा भुज्यु को समुद्र से बचाना

महाभारत के वनपर्व में वर्णन आता है कि राजा भुज्यु एक समुद्री दुर्घटना में फँस गए थे। तब अश्विनी कुमारों ने उन्हें दिव्य विमान में बैठाकर सुरक्षित स्थान पर पहुँचा दिया।

3. भगवान इंद्र द्वारा उपेक्षा और ब्रह्मा का वरदान

देवताओं के वैद्य होने के बावजूद, इंद्र ने अश्विनी कुमारों को ‘सुर’ (पूर्ण देवता) मानने से इनकार कर दिया, क्योंकि वे आम प्राणियों को भी चिकित्सा प्रदान करते थे। इस पर ब्रह्मा ने उन्हें सोमरस पीने की अनुमति दी, जिससे वे देवताओं के समान पूजनीय बन गए।

अश्विनी कुमारों का ज्योतिषीय और आध्यात्मिक प्रभाव

ज्योतिष में अश्विनी कुमारों का संबंध ‘अश्विनी नक्षत्र’ से है, जो स्वास्थ्य, ऊर्जा, आरोग्य और तेजस्विता प्रदान करता है।

इस नक्षत्र में जन्मे व्यक्ति चिकित्सा, विज्ञान, खेल-कूद और कलात्मक क्षेत्रों में श्रेष्ठ होते हैं।

अश्विनी कुमार मंगल ग्रह और केतु से जुड़े हैं, जो पराक्रम, साहस और नवाचार का प्रतीक हैं।

अश्विनी कुमारों की पूजा और लाभ

श्री अश्विनी कुमार स्तोत्र और अश्विनी कुमार गायत्री मंत्र का जाप करने से स्वास्थ्य, सौंदर्य और दीर्घायु प्राप्त होती है।

घोड़ों को चारा खिलाने और चिकित्सा सेवा करने से अश्विनी कुमारों की विशेष कृपा प्राप्त होती है।

रोगों से मुक्ति, चिकित्सा में सफलता और जीवन में नवीन ऊर्जा प्राप्त करने के लिए अश्विनी कुमार जयंती पर विशेष पूजा की जाती है।

वैदिक और पौराणिक संदर्भ में अश्विनी कुमारों का महत्व

ऋग्वेद में अश्विनी कुमारों की 50 से अधिक ऋचाएँ हैं, जो उनके चिकित्सीय और दैवीय प्रभाव को दर्शाती हैं।

महाभारत में अर्जुन को ‘अश्विनीकुमारों के समान पराक्रमी’ कहा गया है, जिससे उनकी दिव्य शक्ति प्रमाणित होती है।

आज भी आयुर्वेद, होम्योपैथी और प्राकृतिक चिकित्सा में अश्विनी कुमारों की दिव्य चिकित्सा पद्धति का प्रभाव देखा जाता है।

अश्विनी कुमार केवल देवताओं के वैद्य नहीं हैं, बल्कि मानवता को आरोग्य, तेजस्विता और नवजीवन प्रदान करने वाले दिव्य चिकित्सक हैं। उनकी उपासना से स्वास्थ्य, दीर्घायु और आध्यात्मिक चेतना का विकास होता है। ऋग्वेद, महाभारत और पुराणों में वर्णित उनके कार्य यह सिद्ध करते हैं कि वे सिर्फ रोगहर नहीं, बल्कि अमरत्व के प्रदाता हैं।