सनातन धर्म के आलोक में मन्दिरों का महत्त्व

मन्दिर केवल पत्थरों से निर्मित भवन मात्र नहीं, अपितु यह ईश्वरीय ऊर्जा के केंद्र होते हैं। सनातन धर्म में मन्दिरों को दिव्य शक्तिपीठ माना गया है, जहाँ साधक ईश्वर की उपासना कर आत्मिक शुद्धि एवं मोक्ष प्राप्ति की दिशा में अग्रसर होते हैं। प्राचीन ऋषि-मुनियों ने वेदों, पुराणों एवं आगम शास्त्रों में मन्दिर निर्माण की विधियाँ तथा उनकी आध्यात्मिक महत्ता को विस्तारपूर्वक वर्णित किया है।

मन्दिरों की आध्यात्मिक संरचना

प्रत्येक सनातनी मन्दिर की रचना किसी न किसी वैज्ञानिक एवं आध्यात्मिक सिद्धांत पर आधारित होती है। गर्भगृह में प्रतिष्ठित देवमूर्ति उस शक्ति का प्रतीक होती है जो सम्पूर्ण ब्रह्मांड को गति प्रदान करती है। शिखर, मंडप, प्रदक्षिणा पथ एवं गोपुरम आदि वास्तुशास्त्रीय दृष्टि से भी विशिष्ट ऊर्जा केंद्र होते हैं। मन्दिर के कलश से लेकर उसकी नींव तक एक विशेष विधि से निर्मित होती है, जिससे वहाँ प्रविष्ट होते ही साधक को दिव्यता एवं सात्त्विकता का अनुभव होता है।

धर्म, संस्कृति एवं सामाजिक समरसता

सनातन धर्म में मन्दिर केवल पूजा-अर्चना के स्थल नहीं, बल्कि समाज को एकजुट रखने वाले केंद्र भी हैं। प्राचीन काल में मन्दिरों के प्रांगण में गुरुकुल, चिकित्सा केंद्र, न्यायालय एवं अनाथालय भी स्थापित होते थे। यहाँ वेदों, शास्त्रों और नीतियों का प्रचार-प्रसार किया जाता था, जिससे धर्म, संस्कृति एवं समाज को सुदृढ़ बनाया जाता था।

विज्ञान और आध्यात्मिकता का संगम

सनातनी मन्दिरों में निहित ऊर्जा विज्ञान एवं आध्यात्मिकता का अद्भुत मेल है। शंख ध्वनि, मंत्रोच्चारण एवं दीप प्रज्ज्वलन वातावरण को शुद्ध करने का कार्य करते हैं। गर्भगृह में स्थित प्रतिमा के चारों ओर की ऊर्जा साधक के चित्त को एकाग्र कर ध्यान एवं भक्ति को सुदृढ़ करती है। इसी कारण सनातन मन्दिरों को ‘धार्मिक प्रयोगशाला’ भी कहा जाता है, जहाँ भक्त अपनी आध्यात्मिक साधना को पुष्ट कर सकते हैं।

सनातन धर्म के मन्दिर केवल पूजा के स्थल नहीं, बल्कि ऊर्जा, विज्ञान, वास्तुशास्त्र एवं समाज को एक सूत्र में पिरोने वाले दिव्य धाम हैं। इनकी महत्ता केवल धार्मिक ही नहीं, बल्कि वैज्ञानिक, सांस्कृतिक एवं सामाजिक दृष्टि से भी अतुलनीय है। जब हम मन्दिर में प्रवेश करते हैं, तो हम केवल ईश्वर की आराधना ही नहीं करते, बल्कि अपनी आत्मा को उस परम चेतना से जोड़ने का प्रयास भी करते हैं, जो सम्पूर्ण ब्रह्मांड में व्याप्त है।