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देवी – देवता
हिंदू धर्म के आठ वसु: प्रकृति के अधिष्ठाता देवताओं का गूढ़ रहस्य
हिंदू धर्म में अनेक देवी-देवताओं की उपासना की जाती है, जिनमें आठ वसु (Aṣṭa Vasus) का विशेष स्थान है। ये देवता सृष्टि के विभिन्न भौतिक और दैवीय तत्वों के अधिपति माने जाते हैं। ऋग्वेद, महाभारत, पुराणों और अन्य धर्मग्रंथों में इनका उल्लेख…
“सतयुग से कलियुग तक: भगवान विष्णु की अवतार लीला, श्री विष्णु के बिना सृष्टि अधूरी
सनातन धर्म में भगवान विष्णु को पालनकर्ता माना गया है। वे न केवल सृष्टि की रक्षा करते हैं, बल्कि उसके संतुलन को बनाए रखते हैं। ऋग्वेद, महाभारत, भगवद्गीता, श्रीमद्भागवत महापुराण, और विष्णु सहस्रनाम जैसे ग्रंथों में भगवान विष्णु के महत्व और…
सनातन और हिंदू परंपरा: एक आध्यात्मिक और सांस्कृतिक यात्रा
हिंदू धर्म, जिसे सनातन धर्म भी कहा जाता है, केवल एक धर्म नहीं बल्कि एक जीवनशैली, दर्शन और आध्यात्मिकता की अनंत यात्रा है। यह परंपरा हजारों वर्षों से चली आ रही है और समय के साथ स्वयं को परिष्कृत करते हुए मानवता के लिए मार्गदर्शन का स्रोत बनी…
सनातन धर्म के अमृत स्वरूप धर्मग्रंथ, सत्य, धर्म, नीति और अध्यात्म की पराकाष्ठा को प्रकट करता है
सनातन धर्म, जो अनादि और अनंत है, अपने शास्त्रों एवं धर्मग्रंथों के माध्यम से सत्य, धर्म, नीति और अध्यात्म की पराकाष्ठा को प्रकट करता है। वेदों, उपनिषदों, महाभारत, रामायण और पुराणों में निहित दिव्य ज्ञान, जीवन को सार्थक दिशा प्रदान करता है।…
सनातन धर्म के पाँच प्रमुख भगवान: दिव्य शक्ति का रहस्य
सनातन धर्म में पंचदेवोपासना की परंपरा अत्यंत प्राचीन और दिव्य है। यह पंचदेव ब्रह्मांड की आधारभूत शक्तियाँ हैं, जो सृष्टि, पालन, संहार, ज्ञान और शक्ति के प्रतीक माने जाते हैं। प्रत्येक सनातनी इन पंचदेवों की आराधना करता है, जिससे जीवन संतुलित…
हिंदुओं के 33 कोटि देवता: सनातनी परंपरा का दिव्य रहस्य
भारतीय सनातन धर्म में त्रैत्रिंशत् (33) कोटि देवताओं का उल्लेख मिलता है। यह मान्यता वेदों और शास्त्रों में विस्तारपूर्वक वर्णित है। यहाँ 'कोटि' का अर्थ 'करोड़' न होकर 'प्रकार' या 'वर्ग' है। अतः 33 प्रकार के देवता वे दिव्य शक्तियाँ हैं, जो…